लेखनी कहानी - अंतरात्मा की पहचान - डरावनी कहानियाँ
अंतरात्मा की पहचान - डरावनी कहानियाँ
अंतरात्मा को विचक्षण, दक्ष, नीतिकुशल तथा विवेकी आत्मा के नाम से भी जाना जाता है | अपभ्रंश भाषा में रचित परमात्मप्रकाश में अंतरात्मा बनने के लिए संवेदनात्मक वीतराग ज्ञान का होना आवश्यक माना है
अंतर आत्मा, बहिरात्मा और परमात्मा के बीच की वह कड़ी है जिसके होने से आत्मा परमात्मा बन जाती है और जिसके नहीं होने से आत्मा बहिरात्मा बन जाती है | पक्षपात अर्थात् राग रहित दया की भूमि पर जो ज्ञान विकसित होता है वही अंतर आत्मा बनने की प्रक्रिया है | इस प्रकार दया व राग रहित ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है जो मनुष्य को बहिरात्मा से हटाकर अंतरात्मा से परमात्मा की ओर अग्रसर करता है |